देर वक़्त
वो देर से आएगी और, जाम लम्हो का पिलाया होगा उसकी यादो को छोड़कर , तुमने हर जख्म को सिलाया होगा और दरिया यूँही नहीं अब रेगिस्तान बना फिरता है , और दरिया यूँही नहीं अब रेगिस्तान बना फिरता है तुमने मेरे खत जला कर समंदर में मिलाया होगा। .... TRD