बिना उसके...
बिना उसके... कुछ यूँ एक पल सा हुआ तुम मिले तो सही लेकिन पर भल के लिए आज सिमटा मुसाफिर तुम्हे याद कर रहा बस बरसात का इजहार कर रहा। .. अब तुम थोड़ा ज्यादा याद आती हो थोड़ी देर के लिए सनम पर अब काम मुस्कुराती हो तुम्हारी वो बात अब याद नहीं रही तुमसे मुलाक़ात अब मुलाक़ात नहीं रही 🔰(अमित तिवारी) 🔰 सर्वश्रेष्ठ दूसरी पोस्ट देखने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करे👇👇 1) वो मुझे भूलने की कोशिश 2) तुमने कब्र का इंतज़ाम कर लिया। 3) वफ़ा का रंग 4) इंसान कम यहाँ तो किरायदार मिलते है 5) ये नुमाइश मोहब्बत की