बड़ी मजबूर है वो - शब्द मेरी कलम से ......(shayari)
बड़ी मजबूर है वो - राह चलते मुसाफिर की दास्ताँ
पर मैं भी कुछ कम नहीं
तेरे मेर बीच क्या गम कुछ कम नहीं
ये दर्द है इसे मजबूरी का नाम न दे
कुछ तूने भी किया होगा
हर बात का मुझपे इल्जाम न दे
बड़ी देर है मुझे समझने में अभी
इन परेशानियों की रूह........ मैं अकेला तो नहीं
राह मुश्किल अब हो गई तो क्या
वक़्त के इस तराजू में गम कुछ मेरे भी कम नहीं
( AMIT TIWARI )
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kharab hum hai - shayari
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