इधर बेरोजगारी का आलम ( choti shaayari berojgari par)
इधर बेरोजगारी का आलम
ऊधर घर का ताना,
ये सब मिलके बना देते हैं मेरा तमाशा।
इधर लोगों का फ़साना,
ऊधर ज़माने का सताना,
ये सब मिलके बजा देते हैं मेरा बाजा।
इधर लड़कियों का दगा देना,
ऊधर स्त्रैणों का बलबलाना,
ये सब मिलके बना देते हैं मेरा दही-बड़ा।
इधर वफादारी का सुरुर,
ऊधर रुसवाई का होना बदस्तूर,
ये सब मिलके बना देते हैं मुझे भंगुर।
बेरोजगारी |
Comments
Post a Comment