बुढ़ापा- दर्द इनको भी होता है
(pics from internet ) |
समझता हूँ मैं भी
की मैं क्या हो गया हूँ '
टूटता - सा एक तारा बन गया हूँ 😭
क्या बताऊँ तुम्हें
कितना दर्द होता है 😭
दिल से ज्यादा ये शरीर रोता है 😭
😭अब वो आवाज़ कहाँ
अब वो बात कहाँ
खुशियां अब कभी -कभी आती हैं
पर सपनो में रोज सताती हैं
अकेलापन अब खाने लगा है
माँ - बाप की याद अब कराने लगा है
ज्यादा कुछ नहीं एक सपना टुटा है
पिछे कोई बचपन छूटा है
दुःख दर्द अब साया है
सुना है बुढ़ापा आया है
क्या मैं बुरा हूँ
क्योँकि मैं बुढ़ा हूँ 😭
🔰(अमित तिवारी ) 🔰
Ye poem tune likha h
ReplyDeletehmm
ReplyDeletemaine likha hai kyon achchi nahi hai kya ??
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