ये नुमाइश मोहब्बत की

हमें सीने से लगाकर हमारी सारी कसक दूर कर दो,
हम सिर्फ तुम्हारे हो जाऐ हमें इतना मजबूर कर दो।

      जहर तुम्हारा अब पिने लगा हूँ 
      दर्द अपना अब बताने लगा हूँ 

  अपनी कलम से दिल से दिल तक की बात करते हो
  सीधे सीधे कह क्यों नहीं देते ,,हम से #प्यार करते हो।
      
     आरज़ू हमारी अब तुम्हे होने लगी है 
      दिन और रात अब समझ नहीं आता 
     नूर तुम्हारा अब दिल से नहीं जाता 

ये ज़रूरी नहीं है की हर बात पर तुम मेरा कहा मानो,
मुद्दते राह का फैसला है 
मुश्किल तय करना  इसे 
आधा मैं जानू ,, आधा तुम जानो

      ये नुमाइश मोहब्बत की जो तुमने की है 
      तेरी मोहब्बत के लिए बागी न हो जाऊं,
      जहर ए  जाम मुझे इतना न पीला 
      की मैं इस जहर का आदि न हो जाऊं। ........ 

                                                           🔱अमित तिवारी 🔱

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