मैं उस राह चलता रहा
जिस राह पर हर बार मुझे
अपना कोई छलता रहा
फिर भी न जाने क्यों
मैं उस राह चलता रहा
मसले बहुत हुए तेरे इंतजार के
बर्फ बनकर पिघलता रहा
समंदर का किनारा न बन जाऊं
इसिलए धीरे धीरे चलता रहा - चलता रहा
हर बार इक पहचान लाती हो
दिल पे मेरा नाम लाती हो
सोचा बहुत इस बार रोशनी नही
आग दूंगा ,,,,,
लेकिन चिराग था , फितरत से
जलता रहा , जलता ही रहा।
(some content from internet and remaining is my own)
अपना कोई छलता रहा
फिर भी न जाने क्यों
मैं उस राह चलता रहा
मसले बहुत हुए तेरे इंतजार के
बर्फ बनकर पिघलता रहा
समंदर का किनारा न बन जाऊं
इसिलए धीरे धीरे चलता रहा - चलता रहा
हर बार इक पहचान लाती हो
दिल पे मेरा नाम लाती हो
सोचा बहुत इस बार रोशनी नही
आग दूंगा ,,,,,
लेकिन चिराग था , फितरत से
जलता रहा , जलता ही रहा।
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