तेरी मजबूरियां

तेरी मजबूरियां भी अब जान ले रही है 
ज़माने ने इस कदर तोड़ा है
की पहचान ले रही है

जाने कैसी बेकरारी है ,,
तुझसे मिलने की 
न जीने दे रही है ,,
न मरने दे रही है 

इन किताबो के बीच मैं रम सा गया हूँ ,
न तुझे मिल पा रहा हूँ 
न तुझे खो पा रहा हूँ
तुझसे न मिलके बस यही जिंदगी है 
तू है भी और नहीं भी ,,

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