(सैनिको को समर्पित एक कविता)- पढ़े जरूर (जय हिन्द )
युद्ध में जख्मी सैनिक साथी से कहता है। .....
साथी घर जाकर मत कहना , संकेतो में बतला देना ।
यदि हाल मेरी माता पूँछे तो , जलता दीप बुझा देना।
इतने पर भी न समझे तो , दो आंसू तुम छलका देना।
यदि हाल मेरी बहना पूंछे तो , सुनी कलाई दिखला देना।
इतने पर भी न समझे तो , राखी तोड़ दिखा देना ।
यदि हाल मेरी पत्नी पूंछे तो , मस्क़त तुम झुका देना।
इतने पर भी न समझे तो , मांग का सिंदूर मिटा देना।
यदि हाल मेरे पापा पूंछे तो , हांथो को सहला देना।
इतने पर भी न समझे तो , लाठी तोड़ दिखा देना।
यदि हाल मेरा बीटा पूंछे तो , सर उसका सहला देना।
इतने पर भी न समझे तो , सीने से उसे लगा लेना।
यदि हाल मेरा भाई पूंछे तो , खली राह दिखा देना।
इतने पर भी न समझे तो सैनिक धर्म बता देना।
(सैनिको को समर्पित एक कविता )--- जय हिन्द साथियो
Very nice ......love this poem .....jai hind
ReplyDeleteJai hind
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