वक़्त के पहले तराजू जैसी हो कल थी जैसी ,,आज भी वैसी हो की तुम्हे मानाने में ये सितम भी खाना था वहां वहां भी गए,, जहाँ न जाना था तुम और ,,गैरो से हस हस के बात कर लेती हमें पता है मकसद हमें जलना था। .... 🔰(अमित तिवारी) 🔰 सर्वश्रेष्ठ दूसरी पोस्ट देखने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करे👇👇 1) वो मुझे भूलने की कोशिश 2) तुमने कब्र का इंतज़ाम कर लिया। 3) वफ़ा का रंग 4) इंसान कम यहाँ तो किरायदार मिलते है 5) ये नुमाइश मोहब्बत की
बिना उसके... कुछ यूँ एक पल सा हुआ तुम मिले तो सही लेकिन पर भल के लिए आज सिमटा मुसाफिर तुम्हे याद कर रहा बस बरसात का इजहार कर रहा। .. अब तुम थोड़ा ज्यादा याद आती हो थोड़ी देर के लिए सनम पर अब काम मुस्कुराती हो तुम्हारी वो बात अब याद नहीं रही तुमसे मुलाक़ात अब मुलाक़ात नहीं रही 🔰(अमित तिवारी) 🔰 सर्वश्रेष्ठ दूसरी पोस्ट देखने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करे👇👇 1) वो मुझे भूलने की कोशिश 2) तुमने कब्र का इंतज़ाम कर लिया। 3) वफ़ा का रंग 4) इंसान कम यहाँ तो किरायदार मिलते है 5) ये नुमाइश मोहब्बत की
बड़ी मजबूर है वो - राह चलते मुसाफिर की दास्ताँ बड़ी मजबूर है वो पर मैं भी कुछ कम नहीं तेरे मेर बीच क्या गम कुछ कम नहीं ये दर्द है इसे मजबूरी का नाम न दे कुछ तूने भी किया होगा हर बात का मुझपे इल्जाम न दे बड़ी देर है मुझे समझने में अभी इन परेशानियों की रूह........ मैं अकेला तो नहीं राह मुश्किल अब हो गई तो क्या वक़्त के इस तराजू में गम कुछ मेरे भी कम नहीं ( AMIT TIWARI ) सर्वश्रेष्ठ दूसरी पोस्ट देखने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करे👇👇 kharab hum hai - shayari dil pagal hai - shayari
Comments
Post a Comment