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इधर बेरोजगारी का आलम ( choti shaayari berojgari par)

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इधर बेरोजगारी का आलम ऊधर घर का ताना, ये सब मिलके बना देते हैं मेरा तमाशा। इधर लोगों का फ़साना, ऊधर ज़माने का सताना, ये सब मिलके बजा देते हैं मेरा बाजा। इधर लड़कियों का दगा देना, ऊधर स्त्रैणों का बलबलाना, ये सब मिलके बना देते हैं मेरा दही-बड़ा। इधर वफादारी का सुरुर, ऊधर रुसवाई का होना बदस्तूर, ये सब मिलके बना देते हैं मुझे भंगुर। बेरोजगारी

DIFFRENT BETWEEN NRC BILL AND CAB BILL

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 भारत में समाज में चल रहे  इस बिल   कन्फूज़न PAR TO KNOW THE ALL THINGS ABOUT  BILL PLEASE UNDERSTAND THE WHOLE PROCESS WHY THIS BILL BECOME A MAJOR CONCEPT TO MAKE DIVIDE BETWEEN HINDU AND MUSLIM  SO READ WHOLE ARTICLE  DONT BE CONFUSE ABOUT THE WHOLE BILL .. FIRST KNOW ABOUT IT   The passing of the Citizenship Amendment Act has set off protests across the country, with many fearing that the controversial legislation which grants to select minorities from Pakistan, Afghanistan and Bangladesh Indian citizenship will be used in conjunction with the National Register of Citizens (NRC) to deem minorities as "illegal immigrants". The NRC first gained national prominence with its implementation in the northeastern state of Assam, but the citizens' registry is fuelling fear and panic in the nation. But what exactly is the NRC? At its core, the NRC is an official record of those who are legal Indian citizens. It includes demographic...

कृष्ण चंदर की कहानी : जामुन का पेड(read it very patently)

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आज प्रस्तुत, उनकी कहानी ‘जामुन का पेड़’ एक हास्य व्यंग रचना है जिसमें उन्होंने सरकारी महकमे और उनकी कार्यशैली पर करारा व्यंग किया है! ‘जामुन का पेड़’ नामक इस कहानी को लिखे जाने का ठीक ठीक समय तो ज्ञात नहीं हो सका, लेकिन यदि यह उनके निधन के दस साल पहले भी लिखी गई होगी, तो इस कहानी की उम्र करीब 50 साल बैठती है। जरा सोचिए कृष्‍ण चंदर ने 50 साल पहले जिस लालफीताशाही को इस कहानी में बयां किया है, क्‍या वह आज भी वैसी की वैसी नहीं है? जामुन का पेड़ रात को बड़े जोर का अंधड़ चला। सेक्रेटेरिएट के लॉन में जामुन का एक पेड़ गिर पडा। सुबह जब माली ने देखा तो उसे मालूम हुआ कि पेड़ के नीचे एक आदमी दबा पड़ा है। माली दौड़ा दौड़ा चपरासी के पास गया, चपरासी दौड़ा दौड़ा क्‍लर्क के पास गया, क्‍लर्क दौड़ा दौड़ा सुपरिन्‍टेंडेंट के पास गया। सुपरिन्‍टेंडेंट दौड़ा दौड़ा बाहर लॉन में आया। मिनटों में ही गिरे हुए पेड़ के नीचे दबे आदमी के इर्द गिर्द मजमा इकट्ठा हो गया। ‘’बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था।‘’ एक क्‍लर्क बोला। ‘’इसकी जामुन कितनी रसीली होती थी।‘’ दूसरा क्‍लर्क बोला। ‘’मैं फलों के...

(देश के किसान ही देश के भगवान् हैं )Why Problems Faced By Indian Farmers Continue To Remain Unnoticed

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देश के किसान ही देश के भगवान् हैं  अगर किसान नहीं तो देश नहीं  Indian agriculture is being plagued by various problems. These problems directly and indirectly affect the life of a farmer. Farming practices and other activities of agriculture consume time as well as the efforts of a farmer. We stock grains and use food throughout the year. However, we hardly give a thought to the hard-work and dedication of farmers involved in the production of the crops. These food crops are cultivated to contribute to the overall growth in the sector of agriculture. Nevertheless, the  problems faced by farmers  go unnoticed in the entire process of extracting food and harvesting crops. Why Are Indian Farmers Facing Problems? Since the 1960s, industrialised agriculture came into the picture. This has been successful but it is leading to a decrease in the variety of crops and livestock produced. Farmers have to face the issue of lesser rainfall due to improper irriga...

Why is India’s GDP growth falling?

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What happened? As per the estimates released by the Central Statistics Office on August 31, India’s economy, as measured by the gross domestic product (GDP), grew by 5.7% in the first quarter of 2017-18, compared with 7.9% in the same quarter a year ago. This is the slowest pace of GDP growth recorded since the NDA came to power in May 2014. India grew by a strong 9.1% in the quarter from January 2016 to March 2016. The growth recorded in the subsequent quarters was 7.9%, 7.5%, 7% and 6.1%. So this is the fifth quarter in a row that the growth has slipped, with the pace of decline picking up momentum in the last two quarters. The gross value-added (GVA) in the economy grew at 5.6% between April and June, the same pace as the previous quarter, but sharply lower than the 7.6% growth in the first quarter of the last year Is this surprising? Most economists didn’t expect a sharp uptick from the tepid 6.1% mark recorded in the January-March quarter this year, yet few a...

दिल की ज़ुबान …. !!

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जब भी , दिल की ज़ुबान , सुनते हैं , ख़्वाब फिर , कुछ नये से , बुनते हैं ! रात भर , देख देख , तारों को , तभ भी , लाखों में एक , चुनते हैं ! टूटा ग़र , तारा , आसमां से कभी , अपनी आँखों के , तारे , गिनते हैं ! ग़र चुभें , आँखों में , टूटे तारे कभी , पलकों से , आँसुओं को , बिनते हैं ! ग़र हुई , तार तार , रूह भी कभी , रूई हसरत की , फिर से , धुनते हैं !

बस इक लम्हा …… !!

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लम्हा (एक सोच ) बस इक लम्हा , तेरी ख़ुशबू का , गुज़ारा हमने , ज़िन्दगी भर उसे , फिर दिल में , संवारा हमने ! जब भी यादों ने , ख़्वाबों से , जगाया है हमें , ले के होंठों पे , हँसी तुमको , पुकारा हमने ! कोई कहता हमें , पागल तो , दीवाना भी कोई , किया दुनिया का , यूँ हँसना भी , गंवारा हमने ! वक़्त चलता गया , पानी के , नज़ारों की तरह , चाहे कितना किया , कश्ती से , किनारा हमने ! याद है शाम वो , ठहरी तेरी , पहली वो नज़र , तब से खोया है , हर इक साँस , हमारा हमने ! by - AMIT KUMAR