रोटी की आस में.....(gareeb ka intejaar) - kuch shabd meri kalam se
चढ़ती थी उस मजार पर
चादरे बेशुमार,,,,,,
और बहार बैठा....एक फ़क़ीर
सर्दी से मर गया ......
अगर मगर न किसी की तलाश में
वो तो था इक रोटी की आस में
मिली मगर देर से
उस गरीब को मौत की चादरे
ख़त्म हुआ इंतजार उसका
था वो जिसकी आस में
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1)falsafa lamho ka
2)https://mynewprogresss.blogspot.com/2020/03/samaj-ki-sachchai-padhe-jarur.html
3)https://mynewprogresss.blogspot.com/2020/03/padhe-jarur.html
4)https://mynewprogresss.blogspot.com/2020/03/hamare-smaaj-or-jiwan-ki-sachchai.html
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चादरे बेशुमार,,,,,,
और बहार बैठा....एक फ़क़ीर
सर्दी से मर गया ......
अगर मगर न किसी की तलाश में
वो तो था इक रोटी की आस में
मिली मगर देर से
उस गरीब को मौत की चादरे
ख़त्म हुआ इंतजार उसका
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