रोटी की आस में.....(gareeb ka intejaar) - kuch shabd meri kalam se

चढ़ती थी उस मजार पर 
चादरे बेशुमार,,,,,,
और बहार बैठा....एक फ़क़ीर
सर्दी से मर गया ......

अगर मगर न किसी की तलाश में 
वो तो था इक रोटी की आस में 

मिली मगर देर से 
उस गरीब को मौत की चादरे 

ख़त्म हुआ इंतजार उसका 
था वो जिसकी आस में 


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