पैसे और रिश्ते......samaj ki sachchai - padhe jarur

मेरी जेब में
           जरा सी  छेद क्या हुए 
सिक्के से ज्यादा
           तो रिश्ते गिर गए

और न मिली हसरते मुझको
मजबूरियों में सारे शौक खो गए

  मिलती भी कैसे दुहाइयाँ  मुझको
  मेरे अपने ही बेगैरत हो गए,,,,, 



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