वो नज़रो तक से गिर गया.........(शब्द मेरी कलम से )
जो कभी जहन तक प्यारा था '
वो नज़रो तक से गिर गया
वो बता रहा है हद में रहो ,,,जो अपनी हद से गुज़र गया
हिफाज़त दुश्मनो से कर लेते मगर
.......हिफाज़त दुश्मनो से कर लेते मगर
कोई अपना ,,,,,,,, दुश्मनी पे उतर गया
मेरे हक़ में जो दलीले थी... फ़िज़ूल है अब
मेरा गवाह ,,गवाही देने से मुकर गया ........
जो कभी जहन तक प्यारा था '
वो नज़रो तक से गिर गया.........
सोर्स -int
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1)वो मुझे भूलने की कोशिश
2)तुमने कब्र का इंतज़ाम कर लिया।
3)वफ़ा का रंग
4)इंसान कम यहाँ तो किरायदार मिलते है
5)ये नुमाइश मोहब्बत की
वो नज़रो तक से गिर गया
वो बता रहा है हद में रहो ,,,जो अपनी हद से गुज़र गया
हिफाज़त दुश्मनो से कर लेते मगर
.......हिफाज़त दुश्मनो से कर लेते मगर
कोई अपना ,,,,,,,, दुश्मनी पे उतर गया
मेरे हक़ में जो दलीले थी... फ़िज़ूल है अब
मेरा गवाह ,,गवाही देने से मुकर गया ........
जो कभी जहन तक प्यारा था '
वो नज़रो तक से गिर गया.........
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1)वो मुझे भूलने की कोशिश
2)तुमने कब्र का इंतज़ाम कर लिया।
3)वफ़ा का रंग
4)इंसान कम यहाँ तो किरायदार मिलते है
5)ये नुमाइश मोहब्बत की
great lines 👍
ReplyDeletethank u
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